Wednesday, October 28, 2009

अपील , नवम्बर 2009 साइकिल यात्रा

दिल्ली यंग आर्टिस्ट्स फोरम
बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति



पिछले तीन सालों से लगातार बिहार में सैलाब आने के कारण लाखों लोगों का बसा -बसाया घर उजड़ गया, लोग इस कदर परेशान हुए की आज लाखों बेघर होकर सड़कों पर जिन्दगी जी रहे हैं, हजारों बच्चे का स्कूल छुटा और आज भी वो स्कूल से बहार ही हैं , सरकार की ऐसी कोई पहल न होने के कारण जिससे दोबारा जिन्दगी संवर सके, लोगों की मायूसी ने प्रवास का रूप लिया। 2008 के कोशी सैलाब से आज तक उन इलाकों के लोग लगातार बड़ी संख्या में शहर की ओर आ रहे है। 2009 में सैलाब का साथ सूखे ने भी दिया, जिसके कारण लोगों में उदासी बढीं और प्रवास व पलायन और भी बढ़ा। इन पलायन करने वालों का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली आकर कुछ भी रोजगार कर अपनी जिन्दगी गुजरने पर मजबूर है ।

आज दिल्ली जैसे शहर में पहले से लाखों मजदूर अपने मानवाधिकारों को भूल कर सड़कों पर सो कर, एक कमरे से 8-10 लोग एक साथ रहा कर, दो हजार रुपये में 14 घण्टे काम कर, तीन चार दिनों तक बिना किसी आराम के टेन्ट लगाने या शादी पार्टी का काम करने जैसे क्षेत्र में लगे है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकी शहर में मजदूरों की कमी नही है। इन तमाम सूरत- ऐ -हाल के बावजूद लगातार सैलाब व सूखे की मार से परेशान होकर और भी अधिक मजदूरों का मजबूर होकर शहर आना मानवाधिकार हनन करने वालों को मौका प्रदान कर रहा है। मजदूरों की अधिक संख्या को देखकर मंदी के बहाने दिल्ली के कुछ इलाकों में 200 से 300 रुपये प्रतिमाह मजदूरी कम कर दी गई। ऐसा उस दौर में हुआ है जब सरकारी कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ मिलना शुरू हो चुका है। यहाँ हमें लोगों का बेहतर जिन्दगी के लिए पलायन एवं बसाये घर के सैलाब से उजड़ जाने के कारण मजबूर होकर प्रवास करने में फर्क करना होगा ।

एक तरफ बाढ़ और सूखे की तबाही एवं दूसरी और शहर की तथाकथित विकास योजना । विकास भी ऐसा जिसकी सफलता का केवल शोर ही हर तरफ़ सुनाई देता है सफलता दिखाई नहीं देती। इस विकास का सबसे बड़ा चेहरा यह है की एक कार में एक व्यक्ति बैठकर सफर कर सके , इसके लिए सड़कें चोडी की जा रही है या फ़्लाइओवर बनाये जा रहे है। लेकिन सड़कों को कारों के लिए चौड़ा करने में सड़क के किनारे लगे लाखों रेहडी -पटरी ठेलेवालों का रोजगार भी जाता है। साथ ही साथ न केवल इस तथाकथित विकास का खर्च महगाई बनकर गरीबों की कमर तोड़ता है बल्की इसी विकास योजना के सब से चहेते दिल्ली मैट्रो रेल के पिलर भी उनकी झुग्गियों पर ही रखे जाते है और उनकों वहा से उजड़ दिया जाता है।

विकास का यह चेहरा शहर से लेकर गांवो देहात एवं आदिवासी क्षेत्रों तक में उसका असर साफ दिखाई देता है। गांवो में जंगलों की बेइंतहा कटाई कर जमीन बड़ी कम्पनीयों के हवाले करना एवं मशीनीकरण के बढ़ती उर्जा खपत के फलस्वरूप मौसम में भयावह बदलाव दिखाई दे रहा है, जिसका रिश्ता सैलाब के आने एवं मजदूरों के प्रवास से है। मशीनीकरण ने बेइंतहा मजदूरों को बेकार कर घर बैठाया है। इस बेकारी एवं बेरोजगारी का सबसे ज्यादा असर महिला मजदूरों पर पड़ता है। चाहे उनका रोजगार बंद हुआ हो या पति का रोजगार, आख़िर परिवार चलाने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। साथ ही साथ इस शहरीकरण की चकाचोंध ने कामकाजी महिलाओं के लिए असुरक्षित वातावरण भी तैयार किया है।

माता -पिता की स्थिति खराब होने के कारण बच्चों की जिन्दगी भी परेशान हुई । इस सैलाब ने लोगों से केवल मौजूदा दौर ही नही छीना बल्कि बच्चे जिसे पारिवारिक भविष्य को भी अंपनी चपेट में लेकर सदा के लिए सब कुछ छीन लिया है। लाखों स्कूल से बाहर हैं जिनका न तो खाने का इंतजाम है और न ही सोने का । ऐसे समय में उन्हें भी अपना रास्ता तलाश करते हुई बाल मजदूरी की ओर बढ़ना पड़ रहा है। वह तमाम असामाजिक तत्व जो बाल मजदूरी कराते हैं उन्हें ओर मौका मिल है । जरूरत इस बात की है कि सरकार पहल करे एवं उनके माता-पिता के रोजगार को सुरक्षित करते हुई जमीनी स्तर पर बाल मजदूरी पर रोक लगाए न कि केवल कानून बना कर ख़ुद को अंतर्राष्ट्रिये स्तर पर बाल हितों का पक्षधर घोषित करे ।

दिल्ली में मजदुर वर्ग चार पांच तरह से प्रवास करते है। शहर का एक बढ़ हिस्सा झुग्गी बस्ती में रहता है एवं दूसरा बढ़ हिस्सा पुनर्वास कालोनियों में । पहले ये आबादी भी झुग्गी बस्ती में थी जिसे विकास के नाम पर उजाडा गया । शहर में एक बड़ा हिस्सा बेघरों का है जो अपने रोजगार के साधन के आसपास रहता है। पिछले कुछ वर्षों में झुग्गियों के टूटने एवं वैक्लपिक प्लाट न मिलने के कारण इनकी संख्या में बहुत अधिक बढोतरी हुई है। मजदुर वर्ग का एक बड़ा हिस्सा कच्ची कालोनियों में रहता है। यह सरकार की नजर में ऐसी अवैध कालोनियों हैं जो किसानों से जमीन खरीद कर बनाई गई हैं । इसे वैध करने का सरकारी फार्मूला यह है कि यह कालोनियां का चुनाव से पहले वैध होने लगती है एवं सरकार के गठन के बाद अवैध हो जाती हैं।

इन सभी कच्ची कोलोनी, एवं झुग्गी बस्तीयों में बुनियादी ज़रूरत जैसे पानी, बिजली, शिक्षा, सफाई और राशन की स्थिति ऐसी है मानों इन इलाकों में रहने वालों का न तो कोई मानवाधिकार है और न ही सरकार की इनके प्रति कोई ज़िम्मेदारी। कहीं लोग ज़मीन से निकाल कर कच्चा पानी पीने पर मज़बूर हैं तो कहीं 2 से 3 दिनों तक टैंकर का इंतज़ार करने को बेबस। पानी भरने का इंतज़ाम इतना गैर जिम्मेदाराना है कि टैंकर बस्ती में लाकर खडा कर देना एवं पाइप खोल देना ही सिर्फ़ सफाई कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी है? इसमें से कितना पानी लोगों को मिल रहा है एवं कितना बर्बाद हो रहा है यह जिम्मेदारी किसी की नहीं होती है।

अगर सरकारी स्कूलों की हालत देखें तो पता चलता है कि शिक्षा सफर जैसी कोई चीज है, जो कोई गाड़ी में चढेगा आगे बढेगा ही। स्कूल में बच्चों का आना और आकर शिक्षक के इंतज़ार में बैठे रहना इन बच्चों का काम है। शिक्षक की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होती कि वे पढ़े भी। बाकी स्कूल के रखा रखाव की ज़िम्मेदारी किसकी है यह तो समझ में ही नही आता। इन सभी बस्तीयों में बुनियादी ज़रूरत की सभी चीजों का हाल लगभग एक जैसा ही है, और इसे ठीक कराने की इच्छा सरकार के किसी भी विभाग में दिखाई नही देती।

बिहार में आने वाली लगातार भयावह बाढ़ के कारण बेघर हुए लोगों के प्रश्न को उठाने एवं उन्हें अपने स्थान पर पुनर्वास कराने, दिल्ली प्रवास कर चुके मजदूरों की मजदूरी एवं ज़िन्दगी के बुनियादी हकों के सवाल को आम लोगों एवं सरकार के सामने रखने व उनका समाधान तलाश करने के लिए एक 8 दिवसीय साइकिल यात्रा का आयोजन दिल्ली में किया जा रहा है । यह 8 दिनों की साइकल यात्रा 17 नवम्बर 2009 को भगत सिह पार्क से शुरू होकर दिल्ली के मुख्य स्थानों से गुजराती हुई झुग्गी बस्तीयों, पुनर्वास कोलोनियों, बेघर स्थानों से गुजरकर विभिन्न लेबर चौकों से होती हुई संसद भवन तक जायेगी, जहाँ इसका समापन होगा।
प्रमुख बिंदु
  • बिहार में बाढ़ से लगातार तबाही, हजारों कि मौत, लाखों बेघर, करोडों का नुकसान,
  • लगातार सैलाब के बाद इस वर्ष सूखे ने भी तबाही मचाई, किसान बेहाल
  • लोगों का शहर की ओर लगातार प्रवास
  • तथाकथित विकास ने बढाई और बेरोज़गारी
  • महिला मजदूरों पर दोतरफा हमला - माहौल और रोज़गार दोनों असुरक्षित
  • दिल्ली में प्रवास कर रहे लोगों की बदहाल स्थिति
  • विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई बेंतहा - विकास हेतु मशीनीकरण पर उर्जा खपत हद से ज्यादा - मौसम में भयावह बदलाव
  • मजदूरों की बहुतायत के कारण घटती मजदूरी एवं हनन होते मानवाधिकार व बुनियादी हक
  • एक तरफ लोग पिने के पानी, चिकित्सा , शिक्षा , जल निकासी और बिजली जैसी समस्याओं से त्राहि-त्राहि , दूसरी तरफ झूठी शान में कामनवेल्थ गेम्स पर खर्च

बाढ़, सूखा और प्रवास - नाकाम रहा है ये विकास
घटी मजूरी, न बुनयादी ज़रुरत ही हुयी पूरी

साईकिल यात्रा
भगत सिंह पार्क से
संसद भवन
17 - 24 नवम्बर 2009
रूट
क्रम
रूट

दिनांक

1

भगत सिंह पार्क

1100 - 17 नवम्बर 09

2

आई टी ओ

3

लक्ष्मी नगर


4

मंडावली

5

विनोद नगर

6

पटपड़ गंज औद्योगित एरिया

7

सीलमपुर

8

शाहदरा


9

सीमापुरी


10

दिलशाद गार्डन

11

सुन्दर नगरी

12

नन्द नगरी

13

गोकुलपुरी

14

सोनिया विहार

रात्री पड़ाव

15
वजीराबाद पुल

18 नवम्बर 09

16

मजनू का टीला

17

दिल्ली विश्विद्यालय

18

कमला नगर

19

घंटा घर

20

कौशल पुरी

21

आजादपुर

22

वजीरपुर

रात्रि पड़ाव

23

प्रेमबाड़ी पुल

19 नवम्बर 09

24

टी वी टावर

25

मधुबन चौक

26

रोहिणी - ३

27

पत्थर मार्केट

28

बुध विहार

29

रोहिणी - २४

30

शाहाबाद दौलतपुर

31

हैदरपुर

32

भलस्वा

33

स्वरुप नगर

34

होलम्बी कला

35

होलम्बी खुर्द

36

टीकड़ी खुर्द

37

बवाना

रात्रि पड़ाव

38

कंझावला

20 नवम्बर 09

39

शाब्दा

40

नागलोई

41

प्रेम नगर

42

पीरा गढ़ी

43

भैरो इन्कलेव

44

रान्हौला

45

शिव विहार

46

हस्तसाल

47

विकास पुरी

48

उत्तम नगर

रात्रि पड़ाव

49

ककरौला

21 नवम्बर 09

50

पप्पन कला

51

द्वारका

52

मंगला पुरी

53

सागरपुर

54

मायापुरी

55

नारायण

56

धुला कुआँ

57

बिहार निवास

58

बिहार भवन

59

मोतीबाग बस्ती

60

कनक दुर्गा बस्ती

62

सोनिया कैम्प

63

एकता विहार

64

हनुमान कैम्प

65

रविदास कैम्प

66

कुसुमपुर

67

कुली कैम्प

68

जे एन यू

रात्रि पड़ाव

69

मोतीलाल कैम्प

22 नवम्बर 09

70

आई आई टी

71

लाडो सराय

72

बेगम पुर

73

खान पुर

74

तिगडी

75

संगम विहार

76

तुग्लाका बाद

77

ओखला औ

78

बदर पुर

79

मोलर बंद


80

मदनपुर खादर


81

कालिन्दी कुञ्ज

82

जामिया

रात्रि पड़ाव

83

मोदी मिल

23 नवम्बर 09

84

लाजपत नगर

85

निजामुद्दीन

86

लोधी रोड

87

खान मार्केट

88

इंडिया डेट

89

तिलक मार्ग

90

दरिया गंज

91

मीना बाज़ार

92

चांदनी चौक

93

लालकिला

94

यमुना बाज़ार

95

बस अड्डा

96

मोरी गेट

97

बर्फ खाना

98

फिल्मिस्तान

99

करोल बाग

रात्रि पड़ाव

100

अम्बेडकर भवन

24 नवम्बर 09

101

संसद भवन

सुबह 1100 समापन

रूट मैप संलग्न


" गाँव में सुकून न शहर में चैन " के इस माहौल के खिलाफ इस साइकिल यात्रा में आप अपने सहूलियत के मुताबिक हिस्सा लें एवं आर्थिक सहयोग के लिए भी सामने आयें


धन्यवाद्
साईकिल यात्रा आयोजन समिति

सदरे आलम, प्रो0 डी एन कालिया, रश्मि जैन, प्रेम बहुखंडी, भोलेस्वर, इमरान, उत्तम दत्ता, प्रकाश, उमेश चौरसिया, संदीप, अफाक, धर्मेन्द्र, शाह आलम, संतोष कुमार
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